हिंदी दिवस
हिंदी दिवस
आई लव यू बोलना चरम पर होता है मल्लब अंग्रेजी में इससे ज्यादा प्यार कर ही नही सकते। ब्रो, ड्यूड, गायस आदि बोलने में भी दोस्ती-वोस्ती वाला तहलका नहीं मचता। "पार्टी एनिमल" होने से कहीं ज्यादा खतरनाक पिंटू के बियाह वाला नागिन डांस लगता है। न जाने कितने अंग्रेजी शब्दों का तो ठीक से "Pronunciation" (ये भी नहीं बोला जाता।) भी नहीं कर पाते।
पक्का दोस्त हो तो "bro" से कहीं ज्यादा सही "का बे? अबे! चुप बे!" लगता है। मोहतरमा का "Shy" होना कम और "लजाना" ज़्यादा अच्छा लगता है। मम्मी के "Good Boy" तो कभी हम बन ही नहीं पाए काहे कि मम्मी को हिंदी का “कपूत” ही भाया। पिता जी के अनुसार "एम्प्टी ब्रेन" नहीं बल्कि दिमाग में गोबर भरा है। जो की एम्प्टी ब्रेन से कहीं ज्यादा तिकड़मी है।
बास्टर्ड, इडियट, डफर समझ नहीं आता हमको और साला किसी के चूतिया भर बोल देने से तो सीधा दिल छलनी हो जाता है और वो🤔 तो ख़ैर हईये है।लाख मदर सिस्टर करता रहे कोई लेकिन गलती से भी अगर कउनो "अवधी" बोलिस तो बेल्ट सहित हाथ छोड़ने में देर नहीं लगती। गरियाना हिन्दी में छूआ जाता है।
"यू नो टची टाइप😊"
डेस्पासीटो के एक शब्द के बाद बिलबिलाने लगते हैं पर "कजरारे कजरारे” कहीं से भी पकड़ कर धुन मिला कर गा ही देते हैं और नाच भी लेते हैं।
आई लव यू - साई लव यू सुनने से कहीं ज़्यादा धक्क से जियरा तब धड़कता है जब वो कहती हैं "सुनिये! बहुत अच्छे लगते हैं आप हमें"
और फिर जब वो कहती है कि "गले लगना है" तो साला मन होता है कश्मीर से कन्याकुमारी एक करके पहुँच जाएं उसके पास।
हमे हिंदी(भोजपुरी वाली), अंग्रेजी(जबरजस्ती वाली) के अलावा हमको कोई भाषा नहीं आती। अंग्रेजी तो थोपी भी जाती रही है यू.पी बोर्ड वालों पर। हिन्दी दिवस है मनाइये। कुछ न कर पाइये तो प्रेमचंद जी की एक आद ठु कहनिये पढ़ लीजिये। “मंत्र, निमिक का दरोगा, विद्रोही” कुछ भी पढ़ लीजिये। अच्छा ही महसूस करेंगे।
बाकी हिन्दी दिवस की ढेरों बधाई..!!
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