हिन्दू राष्ट्र 🚩
धर्म के पक्ष में रहने का सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि आज से 25-30 साल बाद जब हिन्दुस्तान एक हिन्दू राष्ट्र बन चुका होगा और हर तरफ भगवा ध्वज लहरा रहा होगा...
उस समय हमलोग बूढ़े हो चुके होंगे..
और, उस समय जब हमारे नाती-पोते हमारे पास आकर पूछेंगे कि... जब भारत में हिन्दुराष्ट्र स्थापित हो रहा था तो वो समय तो अपनी आंखों से देखा होगा..
तो, उस समय हमलोग गर्व से सजल नयनों से अपने आने वाले वंशजों को बता सकेंगे कि... हाँ, जिस समय देश में हिन्दू राष्ट्र स्थापित हो रहा था तो उस समय हमलोग जवान थे..
और, हमने न सिर्फ इसे स्थापित होते देखा है...
बल्कि, इसमें सक्रियता से भागीदारी भी निभाई है.
साथ ही बताएंगे कि... उस समय सोशल मीडिया एवं फेसबुक आदि का जमाना हुआ करता था...
तो, हमलोग उस समय के उपलब्ध संसाधन पर सक्रियता से एक्टिव रहते थे और धर्म स्थापना के हर मूवमेंट को काफी उत्साह से सेलिब्रेट किया करते थे...और, अधर्मियो के मुंह में डंडा किए रहते थे...
इसीलिए, इस बारे में मुझे अपनी चिंता तो कतई भी नहीं है.
मुझे तो चिंता... उज्जैनी कालनेमि एवं shit जी टाइप के गद्दार लोगों के लिए होती है... कि, वे क्या जबाब देंगे...
शायद वे अपने आने वाले वंशजों को गर्व से ये बताएंगे कि.... बेटा, हमलोग खानदानी गद्दार हैं...
और, नमकहरामी हमारे खून में शुरुआत से ही है.
इसीलिए, जब देश में जब हिन्दुराष्ट्र की स्थापना हो रही थी तो उस समय मैं जवान ही था.
और, उस समय सोशल मीडिया के फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सप्प आदि का बोलबाला था...तो, उस समय हमलोग अपने उसी संसाधन का प्रयोग करते हुए पूरी ताकत से रामद्रोह एवं देशद्रोह में लगे हुए थे.
और, जब उनके वंशज मासूमियत से पूछेंगे कि... दादा जी, क्या अपने देश और धर्म से गद्दारी करते समय आपको खुद से घिन नहीं आती थी ?
तो, ऐसे लोग उन्हें बताएंगे कि... अरे बेटा, उस जमाने में जॉर्ज सोरोस नामक एक अमेरिकी को बहुत पैसा था.
उसने, न सिर्फ हमें बल्कि हमारी आत्मा तक को खरीद लिया था.
इसीलिए, ऐसा करते समय हमें खुद से घिन तो आती थी लेकिन आत्मा नहीं धिक्कारती थी...
क्योंकि, हमने अपनी आत्मा तो जॉर्ज सोरोस के पास गिरवी रख रखी थी.
खैर, इन सबसे इतर.... मुझे आजीवन इस बात का बेहद गर्व रहेगा कि धर्म स्थापना के इस दौर में मैं न सिर्फ अपने धर्म बल्कि अपने धर्मस्थापक के भी साथ खड़ा था...!
जय श्री राम...!!
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